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Thursday, 30 June 2011

"तुम"

चित्र गूगल से साभार
गए तुम 
मेरे जीवन में 
रंगों की ले रंगोली,
युग-युग से मैं 
प्यासी नदिया,
और हूँ मैं अकेली. 


पल-छिन जिनको 
देखा करती 
भांप लिया 
मन के तारों ने 
आँखों से मैंने 
देख लिया है 
तुम हो वही. 


धड़कन से मैंने 
सुन लिया है 
प्रिय हो तुम्हीं,
ह्रदय में मेरे 
गीतों की 
धुन भी तुम्हीं. 


देखा है मैंने
चाहा है मैंने
वही बिम्ब तुम्हीं
ख्वाब भी
जिसमें शरमा जाये
वही तुम कालजयी. 
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Tuesday, 28 June 2011

आराधना

माँ! मैं तुम्हारी
आराधना करती हूँ
मेरा नमन तुम्हें
स्वीकार हो.

मंजिल तक पहुचने
के लिए
सहायता तुम
सदा ही करना.

राहों में
विपदाओं के कंटक
मेरे पावों को छू न पावें
नष्ट कर देना तुम
ध्वस्त कर देना
जिसमें जीवन मेरा
सफल हो जाए.

तुम्हारा रूप विराट है
तुम जगत जननी
माता हो, तारणकर्ता हो
मैं मृत्युलोक की
जर्जर भू-कंदराओं
में रहने वाली प्राणी हूँ.

जब तक
तुम्हारा वरदहस्त
मुझे अमरत्व देता है,
तब तक मैं हूँ!
और मेरा यह नश्वर रूप है,
माँ मैं तुम्हारी
आराधना करती हूँ. 

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